स्मार्ट मीटर से ग्रामीण हुए परेशान

Villagers are troubled by smart meters

बिजली की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों की पढ़ाई और जीवन पर प्रभाव 

सिमरन साहनी

मुजफ्फरपुर, बिहार

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से लगभग 60-65 किलोमीटर दूर साहेबगंज प्रखंड के हुस्सेपुर जोड़ा कान्ही गांव में स्मार्ट मीटर की वजह से ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर, पढ़ाई करने वाले बच्चों की शिक्षा पर इसका गहरा असर पड़ रहा है।

स्मार्ट मीटर की वजह से बिजली की समस्या 

17 वर्षीय नंदिनी, जो 10वीं कक्षा में पढ़ती है, का कहना है कि उसका बोर्ड परीक्षा कुछ महीनों बाद है, लेकिन बिजली की समस्या के कारण उसकी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही है। वह बताती है, “दिन में स्कूल और कोचिंग से समय नहीं मिलता, इसलिए रात को पढ़ती थी। लेकिन जब से स्मार्ट मीटर लगा है, एक दिन पढ़ाई होती है और दो दिन नहीं होती।”

इसी तरह, एक अन्य लड़की, जिसने नाम नहीं बताने की शर्त पर बात की, ने कहा कि उसके पिता ने धमकी दी है कि अगर वह परीक्षा में पास नहीं हुई तो उसकी शादी करा देंगे। वह कहती है, “200 रुपये का रिचार्ज ठीक से दो दिन भी नहीं चलता। मेरे पिता मजदूरी करते हैं और इतना नहीं कमा पाते कि रोज रोज मीटर रिचार्ज कर सकें।”

स्मार्ट मीटर योजना और ग्रामीणों की परेशानी 

बिहार सरकार ने स्मार्ट मीटर लगाने का अभियान चलाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (BSPHCL) को 2024 के अंत तक राज्य भर के सभी घरों में स्मार्ट मीटर लगाने का निर्देश दिया है। अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बिहार में कुल 1.72 करोड़ उपभोक्ता स्मार्ट मीटर स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 1.37 करोड़ मीटर आवंटित किए जा चुके हैं।

हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि स्मार्ट मीटर उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। 32 वर्षीय रिंकू देवी का कहना है, “हम गरीब लोग इतना नहीं कमाते कि हर दो दिन में 500 रुपये का रिचार्ज कर सकें।”

पुराने सिस्टम की तुलना में नया सिस्टम 

रंजू देवी ने पुराने सिस्टम की तुलना में नए सिस्टम को ज्यादा परेशानी वाला बताया। उनका कहना है, “पहले महीने में एक बार बिल आता था और एक बार भर देते थे। अब तो 4-5 किलोमीटर चलकर रिचार्ज कराने जाना पड़ता है।”

55 वर्षीय राजू सहनी ने कहा, “1000 रुपये का रिचार्ज भी एक महीने नहीं चलता। रिचार्ज खत्म होते ही लाइट कट जाती है। हम गरीब लोग इतना पैसा नहीं कमा पाते कि रोज रोज रिचार्ज कर सकें।”

बच्चों की पढ़ाई पर प्रभाव 

25 वर्षीय एक महिला ने बताया कि घर में छोटे-छोटे बच्चे गर्मी के कारण बेहाल हैं। उनका कहना है, “एक तो इतनी गर्मी पड़ रही है, ऊपर से लाइट की समस्या बढ़ गई है। स्मार्ट मीटर ग्रामीणों के लिए नहीं है।”

21 वर्षीय दीपक कुमार ने कहा, “स्मार्ट मीटर अच्छा है, लेकिन रिचार्ज करने के दौरान पैसा फंस जाता है। एक तो इतना मुश्किल से रिचार्ज का पैसा जुटाते हैं, वह पैसा भी प्रोसेस में लग जाता है।”

बिजली विभाग की प्रतिक्रिया 

बिजली विभाग के कर्मचारी कृपानंद कामत (JEE) ने बताया कि पैसा फंसने के दो कारण हैं। पहला, जिस ऐप से रिचार्ज किया जा रहा है, उसका सर्वर डाउन हो सकता है। दूसरा, गूगल पे या पेटीएम जैसे प्लेटफॉर्म का सर्वर डाउन हो सकता है। उन्होंने कहा, “पैसा तीन दिन में वापस आ जाता है, लेकिन ग्रामीण लोग साइबर कैफे या किसी और से रिचार्ज करवाते हैं, जिसके कारण पैसा वापस नहीं मिल पाता।”

सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम 

फूलदेव पटेल ने कहा कि स्मार्ट मीटर लाभदायक नहीं है। उनका कहना है, “जो लाभ मिलना चाहिए, वह कंपनी के द्वारा नहीं दिया जा रहा है। बिजली का बिल बहुत बढ़कर आ रहा है, जिसके कारण ग्रामीण लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।”

सरकार ने स्मार्ट मीटर लगाने का अभियान चलाया है, लेकिन ग्रामीणों की परेशानी को देखते हुए इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। खासकर, बच्चों की पढ़ाई पर इसका गहरा असर पड़ रहा है। सरकार को इस विषय पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि ग्रामीणों की समस्या का समाधान हो सके।

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