अप्पन समाचार टोली
मुजफ्फरपुर. जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर पूरब-उत्तर में स्थित बंदरा प्रखंड का एक गांव है बड़गांव. इस गांव के पासवान टोले की आधा दर्जन से अधिक लड़कियां आठवीं की पढ़ाई करके घर बैठी हैं. 15 साल की दीपा कुमारी ने बताया कि मध्य विद्यालय बड़गांव से 2023 में 8वीं क्लास पास करने के बाद उच्च विद्यालय सिमरा में एडमिशन तो लिया, लेकिन पैसे के अभाव में रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकी. जब तक पैसे का इंतजाम हुआ, तब तक डेट ख़त्म हो गया. दीपा बताती हैं कि मैं चार भाई-बहन हूँ. घर भर ही जमीन है. पिताजी मजदूरी करते हैं. घर में पैसे की किल्लत रहती है.एक लड़की भागती है और टोले भर की लड़कियों की पढ़ाई बंद
दलित समाज की अधिकतर लड़कियां बीच में ही क्यों छोड़ देती हैं पढ़ाई?
ऐसे में आगे की पढ़ाई कर पाना संभव नहीं है. उसी टोले की चांदनी भी 8वीं तक पढ़ कर स्कूल जाना छोड़ चुकी है. चांदनी के पिता बिरजू पासवान राजमिस्त्री हैं. मां रीना देवी बताती हैं कि गांव की एक लड़की एक लड़के के साथ भाग कर शादी कर ली थी, इसी डर से हमलोगों ने अपनी बेटियों को स्कूल जाना बंद करा दिया. चांदनी की तरह ही प्रीति, अभिलाषा, आरती, सीता, राधा जैसी आठ-नौ लड़कियां सिर्फ इसी टोले की हैं जो क्लास 8 तक पढ़ कर घर बैठी हैं.
शिक्षा विभाग के दावे और समाज की हकीकत में बड़ा अंतर
ये तो सिर्फ एक बानगी है ड्रॉपआउट लड़कियों की. बिहार में ऐसी हजारों की तादाद हजारों में हैं, जो 7वीं, 8वीं, 9वीं तक पढ़ कर स्कूल से दूर हो जा रही हैं. हालांकि सरकार एवं शिक्षा विभाग का दावा है कि ड्रॉपआउट के मामले अब नगण्य हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करते हैं. बिहार में शिक्षा की स्थिति जाननी है तो ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले दलित-पिछड़े टोले में चले जाइए, सारी स्थितियां साफ हो जाएँगी.
बिहार में ड्रॉपआउट की समस्या बनी गंभीर
लड़कियों के छीजनग्रस्त होने के कई कारण हैं, जैसे- गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा को लेकर जागरूकता का अभाव, लेकिन सबसे बड़ा कारण दिखता है- स्कूली लड़की का किसी लडके के साथ भाग जाना. अप्पन समाचार की टोली ने मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर के कई गांवों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली बातें सामने आईं. ड्रॉपआउट लड़कियों के अधिकतर अभिभावकों ने कहा कि गांव में यदि कोई एक लड़की भाग जाती है तो सभी लड़कियों की पढ़ाई छुड़वा दी जाती है. जान लें कि यह समस्या सामाजिक रूप से पिछड़े समाज में ही अधिकतर देखा जाता है. इस समस्या पर विस्तार से आप पढ़ सकेंगे अगली रपट में.
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