पीटीएम : बच्चों के भविष्य को मजबूत हो रही अभिभावकों-शिक्षकों की कड़ी

PTM: The bond between parents and teachers is getting stronger for the future of children

विभागीय सख्ती के बावजूद आज भी बहुत सारे स्कूलों में पीटीएम का सिर्फ कोरम पूरा किया जा रहा
विभागीय माॅनीटरिंग का दिखता है अभाव

अप्पन समाचार टीम

मुजफ्फरपुर/शिवहर. स्कूली बच्चों की बेहतर पढ़ाई तभी संभव है, जब शिक्षक के साथ-साथ अभिभावक भी उस पर ध्यान दें. समय से स्कूल भेजने से लेकर, उसे तैयार करना एवं होमवर्क पूरा कराने की जिम्मेदारी माता-पिता की होती है. बच्चे का भविष्य शिक्षक व अभिभावक मिलकर बनाते हैं. जब तक दोनों के बीच समन्वय व संवाद नहीं होगा, तबतक बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते हैं. इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने स्कूलों को हर महीने के अंतिम शनिवार को नियमित ‘अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी’ का आयोजन करने का आदेश जारी किया था. यूं तो पीटीएम (पेरेंट्स-टीचर मीटिंग) पहले से होता आ रहा है, लेकिन अधिकतर सरकारी स्कूलों में पीटीएम सिर्फ कागजों पर करा कर कोरम पूरा किया जाता रहा है.

पीटीएम को सख्ती से कराने का आदेश जारी

इन्हीं चीजों को देखते हुए शायद बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने फिर से वर्तमान शैक्षणिक सत्र में पीटीएम को सख्ती से कराने का आदेश जारी किया. साथ ही मई से मार्च तक की अलग-अलग थीम भी तय कर दी गयी. इस शैक्षणिक सत्र में सरकारी विद्यालयों में अब तक 31 मई एवं 28 जून को दो पीटीएम का आयोजन किया जा चूका है. मई एवं जून की क्रमशः ‘पढ़ेंगे, बढ़ेंगे और सीखेंगे’ एवं ‘उपस्थिति और सरकारी योजनाएं’ थीम पर पीटीएम किया गया. इस महीने 26 जुलाई को ‘व्यावसायिक कौशल और स्वच्छता व पोषण’ थीम पर पीटीएम होगा.

‘हमारे सपने’ कार्यक्रम से जुड़ीं कलस्टर

बीते वर्ष एवं इस साल के मई-जून में हुए पीटीएम पर गौर करें तो लगता है कि विभागीय सख्ती का कुछ असर जरूर हुआ है. ‘हमारे सपने’ कार्यक्रम से जुड़ीं कलस्टर कोऑर्डिनेटर ने दोनों महीने शिवहर जिले के डुमरी कटसरी एवं मुजफ्फरपुर जिले बंदरा प्रखंड के एक-एक स्कूल की पीटीएम में भाग लिया था. इस तरह कुल 10 सीसी ने अलग-अलग 20 स्कूलों के पीटीएम में शामिल रहीं. सभी सीसी के मुताबिक, डुमरी कटसरी एवं बंदरा के सुदूर इलाके के कुछेक स्कूलों को छोड़ दिया जाए, तो अधिकतर स्कूलों ने मई एवं जून में ‘अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी’ का आयोजन किया. कई स्कूलों में पिछले महीने से अधिक अभिभावकों की उपस्थिति थी. अमूमन सभी स्कूलों में बच्चों की माताओं की संख्या पिता की बनिस्पत अधिक देखी गयी.

28 जून को हुई बैठक में सीसी ने अभिभावकों को मीना मंच, उपस्थिति चार्ट एवं स्कूली बच्चों के लिए चल रही सरकारी योजनाओं के बारे में बताया. कई स्कूलों में अभिभावकों ने उनके बच्चे को होमवर्क नहीं दिए जाने की शिकायत की, तो कुछ स्कूलों में शिक्षकों ने भी अभिभावकों से कहा कि वे अपने बच्चों को होमवर्क पूरा करने में मदद करें. कई स्कूलों में यह देखा गया कि थीम से हटकर पूरी बैठक शिकवा-शिकायत में ही ख़त्म हो गयी. कहीं-कहीं अभिभावकों ने योजनाओं की राशि न मिलने की शिकायत करते हुए हो-हल्ला भी किया.

बच्चे को पोषक की राशि नहीं मिल रही

उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेपरी, बंदरा के एचएम ने एक अभिभावक की इस शिकायत पर की उनके बच्चे को पोषक की राशि नहीं मिल रही है, समझाया कि क्लास छह से बच्चों के खाते में भी पैसे जाते हैं, जबकि आपके बच्चे के नाम कोई खाता नहीं है. पता चला कि इस बच्चे के आधार कार्ड में त्रुटि की वजह से खाता नहीं खुल सका है. कुल मिलाकर देखा जाए तो विभागीय सख्ती के बाद पीटीएम कराने वाले स्कूलों की संख्या में इजाफा हुआ है. कई स्कूलों में पिछले महीने से जून महीने में बैठक में अभिभावकों बढ़ी है. जिन-जिन स्कूलों में सीसी की उपस्थिति थी, वहां औसतन 25 से लेकर 45 तक की संख्या देखी गयी, जबकि पहले इक्के-दुक्के अभिभावक आते थे और कागजी कोरम पूरा कर लिया जाता था. जैसे- मवि डुमरी में 25, उमवि तेपरी में 30, मध्य विद्यालय हरपुर, बंदरा में 40 अभिभावकों की उपस्थिति थी. हालांकि, अब भी दूरदराज के कुछ स्कूल उदासीन दिखते हैं.

पीटीएम के महत्व के बारे में बताया

डुमरी कटसरी की बीसी रामशीला कुमारी के मुताबिक, 31 मई की बैठक में डुमरी के कई प्रधानाध्यापकों ने पीटीएम के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि अभिभावक और शिक्षक एक साथ बैठेंगे, तभी शिक्षा में सुधार संभव है और सरकार की योजना सफल होगी. मई की पीटीएम में एचएम ने अभिभावकों से कहा कि गर्मी की छुट्टी हो रही है. गार्जियन अपने बच्चों की दिनचर्या पर पूरा ध्यान रखेंगे. खाली पेट न रहने दें. धूप में जाने से बच्चों को बचाएं. स्वच्छता का ध्यान रखें और स्कूल से जो होमवर्क मिल रहा है, उसकी तैयारी जरूर करवाएं.

जबकि कई अभिभावकों ने कहा कि स्कूल में सही से पढ़ाई नहीं हो रही है. पोशाक राशि, छात्रवृत्ति की राशि न मिलने और मध्याह्न भोजन से संबंधित शिकायतें कीं. इस पर शिक्षकों ने विद्यालय में लगी ‘उपस्थिति चार्ट’ के बारे में बताते हुए कहा कि योजनाओं का लाभ तभी मिलेगा, जब आपके बच्चों की 75% उपस्थिति होगी. बच्चों की डेली उपस्थिति रजिस्टर एवं बच्चों की तस्वीर समेत रिपोर्ट सरकार को देनी होती है। नियम से स्कूल नहीं आने पर ही बच्चे लाभ से वंचित होते हैं. इस प्रकार कई सवाल-जवाब सामने आये. कई अभिभावकों ने कहा कि पहले तो बैठक की कोई जानकारी नहीं मिलती थी.

मीना मंच, शिक्षा चौपाल, जागरूकता रैली, महिला समूह की बैठक

28 जून की पीटीएम के दिन डुमरी के सभी एचएम जिले में आहूत विभागीय मीटिंग में शामिल होने चले गए थे. इस कारण प्रभारी एचएम की देखरेख में पीटीएम हुआ. इस पीटीएम में पिछले महीने से अभिभावकों की संख्या अधिक थी. मीना मंच, शिक्षा चौपाल, जागरूकता रैली, महिला समूह की बैठक, टास्क फोर्स की बैठक आदि का भी असर दिख रहा है. लोगों में शिक्षा के प्रति रूचि, सरकारी योजनाओं की जानकारी, बच्चों की पढ़ाई से संबंधित जानकारी बढ़ी है. अभिभावक शिक्षक से बेबाकी से सवाल करते दिखते हैं. मध्य विद्यालय, डुमरी में अभिभावक के छात्रवृत्ति योजना पर सवाल उठाने पर शिक्षक ने सीसी से बोला कि आप ही इन्हें उपस्थिति के बारे में समझाइए.

बच्चे अनुपस्थित रहेगा, तो कैसे मिलेगा लाभ? सीसी ने मौजूद अभिभावकों को उपस्थिति चार्ट दिखाकर बच्चों के अटेंडेंस पर चर्चा की. अभिभावकों को बैठक में आने से और सीसी को बीच में रहने पर स्कूल के एचएम व शिक्षक को ये लग रहा है कि कोई मेरे कार्यक्रम को देख रहा है. अभिभावकों को भी लगता है कि सीसी दीदी स्कूल एवं बच्चों-अभिभावकों के बीच की कड़ी हैं, तो स्कूल उनकी बात सुनेगा. दलित, महादलित एवं पिछड़े समाज के लोगों को शिक्षकों के बीच अपनी बातों को रखने में हिम्मत मिल रही है.

‘पढ़ेंगे, बढ़ेंगे और सीखेंगे’ थीम पर चर्चा

बंदरा की बीसी रागिनी कुमारी के मुताबिक, पीटीएम में कई स्कूलों में तय थीम से अलग मुद्दों पर चर्चा की गयी. सीसी ने जब पूछा तो पता चला कि स्कूल को थीम के बारे में पता ही नहीं था. सीसी ने उन्हें मई से मार्च तक की थीम साझा की. तब ‘पढ़ेंगे, बढ़ेंगे और सीखेंगे’ थीम पर चर्चा कराई गयी. अभिभावकों को बताया गया कि जो भी टास्क बच्चों को दिया जाता है, उसकी तैयारी कराने की जवाबदेही आपकी है. जिन 6 स्कूलों में सीसी गयीं, उनमें से आधे स्कूलों में ही तय थीम पर चर्चा हुई. बाकी स्कूलों में केवल सरकारी योजनाओं को लेकर शिकवा-शिकायत की गयी. जैसे- ड्रेस का पैसा नहीं आया, स्टाइपेंड नहीं मिलता है, बच्चे को किताबें नहीं मिलती हैं. बच्चों को रसोईया के द्वारा किचेन में भोजन बनवाया जाता है. किचेन का सामान मंगवाया जाता है. रसोईया किचन में खाना बनाती है, तो मुंह में गुटखा रखी रहती है. किचेन की साफ-सफाई बच्चों के द्वारा करवाई जाती है.

‘हमारे सपने’ कार्यक्रम के कारण मीना मंच एक्टिव

राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय बैंगरी के प्रधानाध्यापक ने बताया कि हमारे स्कूल में पहले भी साप्ताहिक एवं पाक्षिक अभिभावक बैठक हुआ करती थी. आज भी जब विभाग विभाग ने हर महीने की थीम तय किया है, तो यह माह में एक बार हो रहा है. जरूरत पड़ने पर मेरे यहां बीच में भी अभिभावक बैठक होती है. उससे फायदा यह होता है कि अभिभावक अपनी समस्याओं को रखते हैं. हम भी उनके बच्चों से संबंधित समस्याएं रखते हैं.

हम दोनों मिलकर एक बीच का रास्ता निकालते हैं, ताकि हमारे बच्चे सही से अपनी पढ़ाई पूरी कर सके. इससे अभिभावक भी सक्रिय रहते हैं. उन्होंने कहा कि मेरे स्कूल में पहले भी मीना मंच गठित था, लेकिन उसकी गतिविधियां थोड़ी स्लो थी. अब ‘हमारे सपने’ कार्यक्रम के कारण मीना मंच और एक्टिव हो गया. मेरे स्कूल में बाल संसद की भी बैठकें होती हैं. सीसी के सहयोग से हमें इन बैठकों को कराने में आसानी होती है. मेरे यहां संगीत और डांस के दो शिक्षक हैं, जिनके सहयोग से स्कूल के सभी बच्चे इसमें भाग लेते हैं. मेरे यहां हर शनिवार को कुछ न कुछ कार्यक्रम होता है.

होमवर्क पूरा करने वाले बच्चों को सम्मानित किया

कुल मिलाकर मई और जून की पीटीएम की अच्छी बात यह रही कि कुछ स्कूलों ने अभिभावकों के समक्ष गर्मी की छुट्टी के दौरान होमवर्क पूरा करने वाले बच्चों को सम्मानित किया. जैसे- उमवि तेपरी के हेडमास्टर ने करीब दो दर्जन बच्चों को कलम देकर सम्मानित किया. वहीं,बुनियादी मध्य विद्यालय पीयर के एचएम ने मीना मंच की अध्यक्ष रागिनी रानी समेत दो दर्जन से अधिक बच्चों को होमवर्क पूरा करने पर सम्मानित किया. यह देखकर अभिभावक खुश हुए.

लिहाजा, स्कूल को समुदाय से जोड़ने की इस पहल ‘अभिभावक-शिक्षक संगोष्ठी’ को और सक्रिय किया जा सकता है, बशर्ते स्कूल प्रबंधन 11 महीने की थीम एवं बैठक की तारीख की अभिभावकों को पूर्व सूचना दी जाये. पीटीएम में अभिभावकों की संख्या और बढ़े, इसके लिए स्कूल प्रबंधन को और सक्रिय होने की जरूरत है. यह सुकूनदेह है कि कई स्कूलों में पीटीएम में अभिभावकों की संख्या बढ़ी है.

बता दें कि विभागीय सख्ती के बावजूद बहुत ऐसे स्कूल भी है जहां आज भी पीटीएम का कोरम पूरा किया जा रहा है। कागज़ों पर ही बैठक हो जा रही है। दरअसल पीटीएम की विभागीय माॅनीटरिंग की व्यवस्था का अभाव दिखता है। बहुत सारे स्कूल नहीं चाहते हैं कि अभिभावकों का हस्तक्षेप स्कूल का माहौल अनुकूल करने में बढ़े। स्कूल प्रबंधन की इच्छाशक्ति का अभाव सरकारी कार्यक्रमों एवं अभियानों के क्रियान्वयन में बाधक साबित होती है।

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