कहानी :
रूशी कुमारी
कक्षा – 9
आरके श्रीमोहन उच्च विद्यालय, सिमरा, बंदरा
एक छोटा-सा गांव था. उस गांव का नाम रामपुर था. उस गांव के एक परिवार में सात लोग रहते थे. माता-पिता, दादा-दादी, दो भाई के अलावा एक लड़की रहती थी. उस लड़की का नाम काजल था. काजल से एक बड़ा भाई एवं एक छोटा भाई था. उसके माता-पिता निरक्षर थे. उसके दोनों भाई प्रतिदिन स्कूल पढ़ने जाया करते थे. वह भी प्रतिदिन स्कूल जाना चाहती थी. लेकिन उसके माता-पिता उसे स्कूल जाने से मना करते थे. काजल की सभी सहेलियां हर दिन स्कूल जाती थीं. वे स्कूल से जो कुछ भी सीख कर आती, आपस में बैठकर चर्चा करती. जब काजल उन सबकी बातें सुनती, तो उसे भी स्कूल जाने का मन करता था. वह भी चाहती थी कि पढ़-लिख कर कुछ करे. लेकिन उसके माता-पिता उसकी बातों को नहीं समझते थे.
काजल की मां राजी नहीं हुई. वह बोली कि पढ़-लिख कर कुछ नहीं होता है. अगर घर पर रहकर चूल्हा-चौका का काम सीख लेगी, तो आगे काम आएगा. यही बातें कहकर उसकी मां से सभी बच्चों की बातों को टाल दिया. इसके बाद सभी ने ठाना कि यह बात स्कूल में अपने शिक्षक को बताएँगे.
एक दिन उसकी सहेली ने उससे पूछा कि तुम भी हमलोगों की तरह प्रतिदिन स्कूल क्यों नहीं जाती हो, तो काजल ने उसे पूरी बातें बताईं. इसके बाद उसकी दोस्त ने काजल से कहा कि तुम चिंता मत करो. हम सभी मिलकर तुम्हारे माता-पिता से बात करेंगे. हम उन्हें समझायेंगे कि वे तुम्हें नियमित स्कूल जाने दें. काजल की सभी सहेलियां उसके पिता से मिलीं और उसे प्रतिदिन स्कूल जाने देने के लिए राजी कर लिया. लेकिन काजल की मां राजी नहीं हुई. वह बोली कि पढ़-लिख कर कुछ नहीं होता है. अगर घर पर रहकर चूल्हा-चौका का काम सीख लेगी, तो आगे काम आएगा. यही बातें कहकर उसकी मां से सभी बच्चों की बातों को टाल दिया. इसके बाद सभी ने ठाना कि यह बात स्कूल में अपने शिक्षक को बताएँगे.
अब काजल की इस परेशानी को दूर शिक्षक ही कर सकते हैं. इसी बीच एक वाकया हुआ. काजल के पिता ने गाय बेची थी. गाय खरीदने वाले व्यक्ति ने काजल के पिता को कुछ कम पैसे देकर चला गया था, जबकि उसने कहा था कि यह पूरे पैसे हैं. लेकिन काजल को विश्वास नहीं हुआ. वह पिता के हाथ से पैसे लेकर गिनने लगती है. गिनने के बाद काजल ने पिता से कहा कि इसमें तो पैसा कम है. उसके पिता को विश्वास नहीं हुआ. जब उसने पड़ोस के एक शिक्षित व्यक्ति से पैसा गिनवाया तो कम था. पिता ने काजल की मां को कहा कि कल से इसको हर दिन स्कूल जाने देना.
अगर आज काजल पैसा नहीं गिनती तो हम कम पैसे ही रख लेते. लेकिन उसकी मां ने कोई जवाब नहीं दिया. अगले दिन स्कूल के शिक्षक एवं बच्चे काजल के घर पहुंच कर यही बात समझाते हैं कि काजल को प्रतिदिन स्कूल जाने देना चाहिए. वह भी पढ़-लिख कर कुछ बनना चाहती है. उसके सपने को पूरा करने दें. अंततः उसकी मां भी मान गयी. वह अगले ही दिन से काजल को प्रतिदिन स्कूल भेजने लगती है. अब काजल स्कूल से घर लौटती है, तो बहुत खुश रहती है. स्कूल से जो कुछ सीख कर आती है, घर पर सभी को बताती है. उसकी इस ख़ुशी को देख कर घरवाले भी खुश होते हैं. इस तरह काजल के सपनों में भी पंख लग गए.